Arsh
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अखंडता को खंडित कर रहे,
हैं जाति,धर्म का द्वेष दिलों में भर रहे|
ये पाखंडी देशद्रोही हैं,
सत्ता की लालच में लड़ रहे|
मिल रहा है मौन समर्थन देश के नेताओं का कुछ,
हा ! हो रही है हत्या देश के अरमानों की, है दुःख।
अभी हुआ है उजाला सूरज को चढ़ लेने दो,
भारत को मत बांटो विश्व गुरु तो बन लेने दो |
खुदगर्जी में जो मसरूफ हो जाओगे,
देख लेना, दफ़न जमीं में हो जाओगे।
देश रक्षक, धर्म रक्षक देश के लहरी होंगे,
न हिन्दू होंगे, न मुसलमान होंगे,
सब देश के प्रहरी होंगे।
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