Arsh
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प्रेम विवश मन भया बावरा , ध्यावत तेरा नाम ,
मन चिंतन पर पर्दा पड़ गया, हो गया निष्काम ,
प्रेम …………………………………………………..,
दिन भी तेरी स्मृति में काटते, ख्वाब में कटती रातें,
प्रेम मिलन जब संभव हो तो, बने श्रृंगारिक बात,
शब्द न जानूँ , भाव न जानूँ , जानूँ न अलंकार ,
गीत प्रॅाम रचता ही रहता , प्रिये बिभिन्न प्रकार,
टीस विछोह , नयन है बरसात , मुख आभा धूल जात ,
टेक तुम्हारी हे चराचर !प्रेम की रखियो लाज|
.प्रेम विवश ……………………………………….|
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