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पुकार- मिलन की

Arsh
Arsh
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अधरों पर अटकी है बात, तू आज पूरी कर दूँ |
मेरी आधी है फरियाद , तू आज पूरी कर दूँ ||
स्नेहिल निमंत्रण है हमारा , दुनिया कर रही परिहास हमारा ,
ह्रदय हो रहा व्याकुल अब हे प्रिये तुम आओगे कब ,
तू आजा इनको चुप कर दूँ …
अधरों ………………………………………………….
भया बावरा सब कहते है, खोये खोये हम रहते है ,
सपन तेरे ही आठों पहर है , नींद को न मिलती डगर है,
तू आजा,
सपन तेरे संग पूरे कर लूँ ,
अधरों ……………………………………………………
विश्वाश अगर यह टूट गया, इस आस से पीछा छूट गया,
फिर न मै वापस आऊंगा, पर भूल न तुझको पाऊंगा ,
तू आजा ,
ह्रदय स्नेह न्योछावर कर दूँ ,
अधरों………………………………………………………..,
भरम है मुझको तुझको लेकर परीलोक कथा बुनता हूँ ,
देखा न तुझको पर, तुझसे सदा मिलता हूँ ,
तू आजा ,
ये भरम भी पूरा कर लूँ,
अधरों पर अटकी है बात ………………………….
मेरी आधी है फरियाद ……………………………||

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