Arsh
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आज घर से चले हम शहर की तरफ,
ख्वाब पलकों पर अपने सजाये हुए !
पास अपनों के रह कर , बिछड़ हम रहे ,
बस यादों को दिल में बसाये हुए !!
गांव के मोड़ तक, यार मिलते रहे ,
दिल के दर्द सह कर हास्य खिलते रहे!
गीत याद आ रहे ,यारों संग गए हुए,
आज घर से चले………………
आज अपना शहर एक सपन हो रहा,
चित यादों में को कर मगन हो रहा!
सजल आँखे थी माँ की, पिता छटपटाये हुए ,
आज घर से शहर………………….
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