Menu
blogid : 11616 postid : 700140

स्मृति !

Arsh
Arsh
  • 20 Posts
  • 4 Comments

ये शाम बसन्ती आई हैँ, मन उथल पुथल सा व्याकुल है ।
खग मोहनी धुन अब सोहे ना, मखमली मलय अब भावे ना,
हे प्रिये तुम्हारी स्मृति मे, कुछ याद हमे अब आवे ना |
मन अतृप्त है, भारी पीँङ प्रिये, चुभ रहा है, कण्टक शूल हिये,
निरखि तुम्हारी राह, हो रहीँ है आखेँ अधीर सखे ।
ये शाम बसन्ती आई हैँ, मन उथल पुथल सा व्याकुल है |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply